ज़िन्दगी मिलेगे ना दोबारा
एक ज़िन्दगी है जीने के लिए
फिर डर डर के बिताये क्यूँ ?
कई रास्तें हैं चलने के लिए
गलत राह पे समय गवाएं क्यूँ?
आज दिल की आवाज़ सुनों,
कल शोर और भी होगा।
आज नए ख्वाब बुनों,
कल ज़िम्मेदारी का भोज भी होगा।
अन्धकार है बहुत दुनिया में
हर एक लौ अमूल्य है
खुद को उज्जवल किये बिना
तेरे अस्तित्व का क्या मूल्य है?.
हम सबको एक दिन राक बनकर
मिट्टी में मिल जाना है।
फिर आग में जलने से क्यूँ डरना
जब मरने से पहले मोक्ष पाना है?
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